Wednesday, July 30, 2025

करवा चौथ का महत्व: पति-पत्नी के प्यार और विश्वास का प्रतीक

करवा चौथ का शुभ त्योहार इस साल 2023 में 1 नवंबर को है। नॉर्थ इंडिया में इसे करक चतुर्थी या करवा चौथ के नाम से जाना जाता है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस त्योहार के दौरान चंद्रमा निकलने तक निर्जला व्रत रखती है। महिलाएं मिट्टी के बर्तन जिसे करवा कहते हैं, उससे चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही खाना खाती हैं या पानी पीती हैं।

सभी विवाहित स्त्रियां साल भर इस त्योहार का इंतजार करती हैं और इसकी सभी विधियों को बड़े श्रद्धा भाव से पूरा करती हैं। करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक है।

लेकिन क्या आप जानते है कि करवा चौथ का क्या इतिहास है. ये भी आपको बताएंगे लेकिन उससे पहले आपको करवा चौथ के शुभ मुहूर्त है बारे में बताते है और साथ ही आपको बताएंगे की करवा चौथ के दिन चांद कितने बचे निकलेगा

दरसल ट्रिक पंचांग के अनुसार करवा चौथ पूजा का मुहूर्त शाम 5:36 बजे से शाम 6:54 बजे तक है। चंद्रोदय का समय रात 8:15 बजे है। इस बीच चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 9:30 बजे शुरू होगी और 1 नवंबर को रात 9:19 बजे समाप्त होगी।

शुभ मुहर्त तो आपने जान लिया अब आपको बताते है इस व्रत के पीछे की कथा..

पौराणिक काल से यह मान्यता चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यणवान की पत्नीय ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें। लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी। इस पर सावित्री अन्नर जल त्यासगकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। पति के प्रति सावित्री के प्रेम और भक्ती को देखकर यमराज ने उससे वर मांगने को कहा। जिसमे सावित्री ने अपने पति के जीवन को मांगा. तभी से कहा जाता है कि पत्नी चाहे तो अपने पति के प्राण यमराज से छीनकर ला सकती है. वहीं मान्यता है की तभी से धरती पर करव चौथ का व्रत मनाया जाता है.

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