Sunday, July 27, 2025

इन उपायों से मिलेगी पितृ दोष से मुक्ति, जानिए दर्श अमावस्या की पूजा विधि

हिना आज़मी/देहरादून. आगामी 17 जून को दर्श अमावस्या मनाया जाएगा.दर्श अमावस्या के दिन आसमान में चंद्रमा दिखाई नहीं देता है. इस दिन पूर्वजों की पूजा भी की जाती है और चंद्रमा के दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि दर्श अमावस्या के दिन पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं. इसलिए इस दिन पूर्वजों के लिए प्रार्थना की जाती है. दर्श अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. पित्र दोष से छुटकारा पाने के लिए दान पुण्य करना बहुत ही शुभ माना जाता है. दर्श अमावस्या 17 जून को मनाई जाएगी. इस दिन शनिवार है

पंडित योगेश कुकरेती ने जानकारी देते हुए कहा है कि वैसे तो साल भर में कई अमावस्या आती है लेकिन दर्श अमावस्या का विशेष महत्व है . चंद्रमा शरीर की वृद्धि करने वाला ग्रह है और दर्श अमावस्या के दिन पितृ धरती लोक पर आते हैं और अपने परिजनों को आशीर्वाद देते हैं.उन्होंने बताया कि दर्श अमावस्या के दिन जो व्यक्ति अभक्ष्य आहार लेता है और पितरों के लिए कुछ भी अर्पण नहीं करता है तो पितृ उन्हें धितकार कर चले जाते हैं.

दर्श अमावस्या का है विशेष महत्व
पंडित योगेश कुकरेती ने जानकारी देते हुए पित्र दोष के निवारण के लिए भी दर्श अमावस्या बहुत महत्व रखती है. पितरों को प्रसन्न रखने के लिए प्रातः काल स्नान करके तर्पण करना चाहिए. इससे जीवन में खुशहाली आती है. जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है. उन्हें दर्श अमावस्या का व्रत रखकर चंद्रदेव की प्रार्थना करनी चाहिए. इससे उनका भाग्योदय होता है. और धन आगमन का मार्ग प्रशस्त होता है. भारतीय धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन प्रेत आत्माएं सक्रिय हो जाती हैं. इसीलिए अमावस्या के दिन बुरे कार्यों से दूरी बनाए रखनी चाहिए. पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य में विशेष ध्यान देना चाहिए. अगर आपका जीवन संघर्षपूर्ण है तो दर्श अमावस्या का व्रत रखकर चंद्रमा का पूजन करें. इससे आपके जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त हो

चंद्रमा के दर्शन से सुख-समृद्धि में होती है वृद्धि
पंडित योगेश कुकरेती ने बताया कि जो व्यक्ति दर्श अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन करता है तो चंद्रमा उस व्यक्ति के ज्ञान,धन और सुख में वृद्धि होता हैं. पंडित योगेश इस दिन स्नान करने के बाद पूजन करना चाहिए और अपने पितरों को याद करते हुए गरीबों में सफेद वस्त्र दान करने चाहिए.मान्यता है कि आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या होती है जिसे दर्श अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन जो लोग पितरों को स्नान ,दान और उनके लिए श्राद्ध करवाते हैं तो उनके पित्र दोष दूर होते हैं और परिवार में सुख आता है.

.

FIRST PUBLISHED : June 10, 2023, 19:32 IST

Source

This error message is only visible to WordPress admins

Error: No feed found with the ID .

Go to the All Feeds page and select an ID from an existing feed.

अन्य बातम्या
Polls

क्या UCC UNIFORM CIVIL CODE सम्पूर्ण देश में लागू होना चाहिए ?

View Results

Loading ... Loading ...
Latest news
Live Scores
Rashifal
Panchang

You cannot copy content of this page