Sunday, July 27, 2025

भक्तों का दावा! भगवान कार्तिकेय की अस्थियां मंदिर में है मौजूद

सोनिया मिश्रा/रुद्रप्रयाग.उत्तराखंड के सुंदर नजारों, बादलों के नजदीक, ऊंची चोटी पर स्थित किसी धार्मिक केंद्र पर अगर आप भी आने का मन बना रहे हैं, तो आप रुद्रप्रयाग जिले में स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर आ सकते हैं. इस मंदिर की भव्यता, पौराणिकता और महत्व अपना महत्वपूर्ण स्थान तो रखता ही है लेकिन इसके साथ ही साथ मंदिर के चारों ओर का नजारा भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचने का काम करता है. साथ ही यह उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है.

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है. यह रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर कनक चौरी गांव के पास 3050 मीटर की ऊंचाई पर क्रौंच पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है. जबकि यह उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान हैं.

भगवान कार्तिकेय की हुई थी हार
मंदिर के पुजारी दिनेश प्रसाद थपलियाल बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनसे कहा कि दोनों में से जो भी सबसे पहले ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापस आएगा, उसकी पूजा समस्त देवी-देवताओं में सबसे पहले की जाएगी. कार्तिकेय तो ब्रह्मांड का चक्कर लगाने चले गए, लेकिन गणेश ने माता पार्वती और पिता शंकर के चारों ओर चक्कर लगाकर उनसे कहा कि मेरे लिए तो आप ही पूरा ब्रह्मांड हैं, इसलिए आपकी परिक्रमा करना मेरे लिए ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के समान ही है.

भगवान कार्तिकेय की अस्थियां मंदिर में है मौजूद
गणेश की इस बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें अपने वचनानुसार वरदान दिया कि किसी भी शुभ कार्य से पहले समस्त देवी-देवताओं के इतर सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाएगी. स्वयं को हारा हुआ देखकर कार्तिकेय क्रोधित हो गए और अपने शरीर का मांस माता-पिता के चरणों में समर्पित कर स्वयं हड्डियों का ढांचा लेकर क्रौंच पर्वत चले गए. भगवान कार्तिकेय की अस्थियां आज भी मंदिर में मौजूद हैं, जिनकी पूजा करने लाखों भक्त हर साल कार्तिक स्वामी मंदिर आते हैं.

कार्तिक स्वामी मंदिर कैसे पहुंचे?
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको रुद्रप्रयाग से होते हुए कनक चौरी गांव तक पहुंचना होगा और गांव से तीन किलोमीटर पैदल एक सुंदर कच्चे ट्रैक से होते हुए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

.

Tags: Dharma Aastha, Religion 18

FIRST PUBLISHED : June 10, 2023, 15:29 IST

Source

This error message is only visible to WordPress admins

Error: No feed found with the ID .

Go to the All Feeds page and select an ID from an existing feed.

अन्य बातम्या
Polls

क्या UCC UNIFORM CIVIL CODE सम्पूर्ण देश में लागू होना चाहिए ?

View Results

Loading ... Loading ...
Latest news
Live Scores
Rashifal
Panchang

You cannot copy content of this page